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Shree Hanuman Chalisa - Vaidik Sagar | श्री हनुमान चालीसा - वैदिक सागर

Shree Hanuman Chalisa - Vaidik Sagar | श्री हनुमान चालीसा - वैदिक सागर इस article में हमने आपसे साझा किया है सम्पूर्ण “श्री हनुमान चालीसा”। इस आर्टिकल के माध्यम से आप “श्री हनुमान चालीसा” का पूरा ऑडियो Mp3 में डाऊनलोड कर पाएंगे फ्री में बीना किशी शुल्क के। इस पोस्ट के साथ हमे “श्री हनुमान चालीसा” का Pdf भी share किया है। इस पोस्ट में “श्री हनुमान चालीसा” की सम्पूर्ण lyrics भी है जो दोहों के साथ है।  Keywords: श्री हनुमान चालीसा, श्री हनुमान चालीसा लिरिक्स, श्री हनुमान चालीसा lyrics, हनुमान चालीसा की लिरिक्स, हनुमान चालीसा की lyrics, Shree Hanuman Chalisa Lyrics, Lyrics of Shree Hanuman Chalisa, Hanuman Chalisa Lyrics, Shree Hanuman Chalisa Ki Lyrics, Shree Hanuman Ji Ki Aarti, Hanuman Aarti, Shree Hanuman Vandana, श्री हनुमान वन्दना, श्री हनुमान आरती, जय जय हनुमान गुसाई, पवन पुत्र हनुमान, पवन पुत्र की आरती, वैदिक सागर, Vaidik Sagar, श्री हनुमान चालीसा Pdf, Pdf of Shree Hanuman Chalisa. Download “श्री हनुमान चालीसा” Pdf Shree Hanuman Chalisa Playlist: 1. Shree Hanuman Vandna |...
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आँखों की रोशनी बढ़ाने के आसान से नुस्ख़े - वैदिक सागर

आँखों की रोशनी बढ़ाने के आसान से नुस्ख़े - वैदिक सागर आँखों की रोशनी कम होने के कई लक्षण होते हैं जैसे- की धुंधला दिखाई देना, सिर में दर्द रहना, दूर और पास की चीजें देखने मे तकलीफ होना। इनके वजह से चश्मे का इस्तेमाल करना पड़ता है। आगे दिए हुए उपायों को आजमाने से आंखों की रोशनी को तेज करने में मदद मिलेगी और साथ मे चस्मा भी जल्द ही हट जाएगा। चस्मा लगाना तो आज कल का फैशन बन गया है लेकिन जो लोग मजबूरी में चस्मा लगाते हैं उनके लिए तो यह जी का जंजाल ही लगता है। जिन लोगों की आंखों की रोशनी कम हो जाती है केवल वही लोग मजबूरी में चश्मा लगाने का दर्द समझ सकते हैं। कुछ लोग चश्मे की बजाय लैंस का प्रयोग करते हैं परंतु लैंस लगाने के बाद आंखों का और अधिक ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए हम ऐसे नुस्खे बताने जा रहे हैं जिससे न केवल आंखों की रोशनी तेज होगी बल्कि चश्मे से भी जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा। इन नुस्खों का प्रयोग रात को सोने से पहले जरूर करे । आंखों की रोशनी तेज करने के नुस्खे-  1. आंवला आँखों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। आंवले से बने मुरब्बे का प्रतिदिन दो बार सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती ह...

हरी धनियां के पत्तों के लाभ - वैदिक सागर

हरी धनियां के पत्तों के लाभ - वैदिक सागर भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए, हमें उन खाद्य पदार्थों को लेना चाहिए जो हमारे स्वाद को बढाते हैँ और हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैँ। इसी तरह, धनियां का उपयोग भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। यह स्वाद के साथ भोजन का रं ग भी बदलता है। धनियां की पत्तियों में कईं पोष्टिक तत्व होते हैँ जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करतै हैँ। धनियां पत्ती में विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड हौले हैं जो शरीर को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओँ से बचाने मेँ मदद करते हैं। धनिया में विटामिन A, विटामिन C फास्फोरस जेसे कई एंटींआक्सिडेंट होते हैँ जो दृष्टि हानि को रोकते हैं। इसके साथ ही धनिया आंखो पर पडने वाले खिंचाव को कम करने में मदद करता है। धनिया के पत्तों का सेवन डायरिया, एनीमिया जैसी समस्याओँ से राहत दिलाने में भी सहायक है। धनिया में विटामिन सी, विटामिन के, प्रोटीन, कैल्पिग्यम, याइमिन कैरोटिन और पोटैशियम भी होता है जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। धनिया के पत्तों का सेवन डायरिया, एनीमिया जैसी समस्याओ सै राहत दिलाने में भी सहायक ह...

घास के तिनके का महत्व - वैदिक सागर

घास के तिनके का महत्व :  रामायण में एक घास के तिनके का भी रहस्य है, जो हर किसी को नहीं मालूम क्योंकि आज तक हमने हमारे ग्रंथो में सिर्फ पढ़ा, समझने की कोशिश नहीं की। रावण ने जब माँ सीता जी का हरण करके लंका ले गया तब लंका मे सीता जी वट वृक्ष के नीचे बैठ कर चिंतन करने लगी। रावण बार बार आकर माँ सीता जी को धमकाता था, लेकिन माँ सीता जी कुछ नहीं बोलती थी।  यहाँ तक की रावण ने श्री राम जी के वेश भूषा मे आकर माँ सीता जी को भ्रमित करने की भी कोशिश की लेकिन फिर भी सफल नहीं हुआ, रावण थक हार कर जब अपने शयन कक्ष मे गया तो मंदोदरी ने उससे कहा आप तो राम का वेश धर कर गये थे, फिर क्या हुआ? रावण बोला- जब मैं राम का रूप लेकर सीता के समक्ष गया तो सीता मुझे नजर ही नहीं आ रही थी। रावण अपनी समस्त ताकत लगा चुका था लेकिन जिस जगत जननी माँ को आज तक कोई नहीं समझ सका, उन्हें रावण भी कैसे समझ पाता ! रावण एक बार फिर आया और बोला मैं तुमसे सीधे सीधे संवाद करता हूँ लेकिन तुम कैसी नारी हो कि मेरे आते ही घास का तिनका उठाकर उसे ही घूर-घूर कर देखने लगती हो, क्या घास का तिनका तुम्हें राम स...

मौन का मूल्य - वैदिक सागर

मौन का मूल्य - वैदिक सागर     गांधी जी ने मौन को सत्य के उपासक के आध्यात्मिक अनुशासन का एक अनिवार्य हिस्सा माना है । मनुष्य की सच्चाई को अतिरंजित करने, संशोधित करने या दबाने की स्वाभाविक कमजोरी है।        लेकिन एक आदमी जो हर शब्द बोलता है, वह कम ही बोलता है। हालांकि, विडंबना यह है कि बहुत से लोग बोलने के लिए उत्सुक हैं परन्तु वे यह नहीं सोचते कि क्या दूसरे सुनना चाहते हैं या नहीं।  वे यह नहीं समझते कि ऐसी स्थिति में उनकी बात बस समय और ऊर्जा का अपव्यय है।        गांधीजी का मानना था कि यदि लोग मौन का गुण जानते हैं तो दुनिया का आधा दुख खत्म हो जाएगा। आधुनिक सभ्यता की शुरुआत से पहले, हम शांति से लगभग सात से आठ घंटे तक बोलने के बिना सो सकते थे। लेकिन आधुनिक सभ्यता ने दिन को  रात में तथा सुनहरे मौन को शोर -शराबे  में परिवर्तित कर दिया है । दिव्य रेडियो हमेशा विवेक के माध्यम से हमसे बात कर रहा है लेकिन हम इसे सुनने के लिए खुद को उपलब्ध नहीं कराते हैं।         इसके विपरीत, हम बिन...

ईमानदारी का फल - प्रेरणादायक कहानियाँ - वैदिक सागर

ईमानदारी का फल: अली एक खान में काम करने वाला मजदूर था जो अपने परिवार के साथ जंगल के निकट एक छोटे से घर में रहता था। एक दिन अली के साथ खान में एक दुर्घटना घटी। चोट के कारण वह काम करनें में असमर्थ हो गया। इससे उसका तथा उसके परिवार का जीवन कठिन हो गया। जब उसके घाव भरने लगे तो वह अपने परिवार के पालन - पोषण का उपाय ढूंढने के लिए जंगल जाने लगा। एक दिन अली जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। अचानक उसने तेजी से दौड़ते घोडों की आवाज सुनी। उसने राजकुमार को घोड़े पर सवार तथा उसके पीछे सैनिकों का एक समूह देखा। वे लोग एक हिरण का पीछा कर रहे थे। जब वे लोग चले गए तब जंगल फिर से शांत हो गया। उसने उस रास्ते पर कुछ गिरा देखा जिस रास्ते से घोड़े गए थे।  उसने वह चीज उठाई तथा देखा कि वह एक बहुत सुंदर चमड़े का बटुआ है। बटुए के ऊपर राजकुमार का नाम सोने से लिखा था। उसने धीरे से बटुआ खोला। उसमें ढेरों स्वर्ण मुद्राए थीं। अली वहीं बैठकर राजकुमार तथा उसके सिपाहियों का इंतजार करने लगा, जिससे वह बटुआ राजकुमार को लौटा दे। धीरे-धीरे अंधेरा हो गया। जब देर रात हो गईं थी परन्तु राजकुमार का कोई पता नह...

कछुए के प्रतीक को घर में रखने के कुछ लाभ - वैदिक सागर

कछुए के प्रतीक को घर में रखने के कुछ लाभ - वैदिक सागर कछुए के प्रतीक को घर में रखने के कुछ लाभ - वैदिक सागर → कछुए के प्रतीक को घर में रखने से आर्थिक उन्नति तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।  → वास्तु और फेंगशुई के अनुसार कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र है, जिससे वास्तु दोष का निवारण होकर घर में खुशहाली आती है। → कछुए को शांत तथा मंदगति से चलने वाला दीर्घजीवी प्राणी माना गया है।  → सनातन धर्म के अनुसार कछुए को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। → कछुए के प्रतीक को कभी भी बेडरूम में नहीं रखना चाहिए।  → कछुए का सर्वोत्तम स्थान ड्राइंग रूम माना गया है।  → हमेशा घर के अंदर की ओर कछुए का मुंह रखना सर्वदा फलदायी है।  → कछुए के संबंध में ऐसी मान्यता है कि कछुए के प्रतीक को घर में रखने से निरंतर आर्थिक उन्नति होती है। loading...